शाहपुरा तालाब का पानी भी ख़राब
शहर के तालाबों और बांधों के पानी की गुणवत्ता में एक महीने के दौरान ही बदलाव आया है। बड़ी झील सहित शहर के अन्य जल स्रोतों के कुछ हिस्सों में हानिकारक बैक्टेरिया की मात्रा पिछले महीने के मुकाबले बढ़ी है। बड़ी झील में कमला पार्क के पास टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा अक्टूबर माह में सितंबर के मुकाबले 18 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं याच क्लब के पास 22 प्रतिशत, कोलार डैम में 224 प्रतिशत, केरवा डैम में टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ी है। करबला और बैरागढ़ में पानी की क्वालिटी में कोई बदलाव नहीं आया है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने शहर के जल स्रोतों की अक्टूबर माह की मॉनीटरिंग रिपोर्ट जारी कर दी है। सितंबर माह की रिपोर्ट के मुकाबले अक्टूबर माह में बड़े तालाब सहित अन्य जल स्त्रोतों में घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ), बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीडीओ), फीकल कोलीफॉर्म (एफसी) और टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) की मात्रा में थोड़ा अंतर आया है। हालांकि तय मानक से कम होने के कारण फिलहाल इन जल स्रोतों के पानी की गुणवत्ता संतोषजनक स्थिति में है।
बीयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विनोद सिंह के अनुसार टोटल कोलीफॉर्म बैक्टेरिया का समूह होता है, जो मिट्टी व वनस्पति के साथ स्तनपायी पशुओं की अांतों में पाया जाता है। इन बैक्टेरिया की पानी में मानक से ज्यादा उपस्थिति दर्शाती है कि पीने के लिए सप्लाई पानी हानिकारक सूक्ष्मजीवों की चपेट में है।
छोटे तालाब और शाहपुरा झील की स्थिति पहले की ही तरह खराब है। छोटे तालाब में कालीघाट के पास टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा में 43 प्रतिशत की कमी आई है। छोटे तालाब में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा भी 8 प्रतिशत और शाहपुरा झील में 7 फीसदी घटी है, लेकिन इसके बावजूद पानी की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार जमुनिया तालाब में टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा में काफी बदलाव आया है। एक महीने में ही इस यहां के पानी में टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा 69 प्रतिशत और फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 800 प्रतिशत तक बढ़ी है।