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उज्जैन। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने पुरोहितों की मांग को दरकिनार करते हुए उन्हें दी जाने वाली 750 रुपये की रसीद उपलब्ध कराना बंद कर दी है। अब ऑनलाइन उन्हें भी अपने यजमानों के लिए 1500 रुपये की रसीद कटवाना होगी। इससे पुरोहितों के बीच असंतोष और आक्रोश पनप रहा है।
अभी तक मंदिर प्रबंध समिति सभी पुरोहितों को 750 रुपये की रसीद उपलब्ध कराती थी। इससे दो यजमान दर्शन करने जा सकते थे। मंगलवार से मंदिर प्रबंध समिति ने नई व्यवस्था लागू की, जिसके अनुसार पुरोहितों को भी ऑनलाइन 1500 रु. की ही रसीद कटवानी पड़ेगी।
पुरोहितों ने मंदिर प्रशासन से मांग की थी कि उनकी 750 रुपये वाली रसीद का कोटा बढ़ा दिया जाए और प्रोटोकॉल की असीमित संख्या को सीमित किया जाए। सूत्रों का दावा है कि यह मामला तूल पकड़ सकता है, क्योंकि पुरोहितों में आक्रोश बढ़ रहा है। प्रबंध समिति का कहना है कि इसकी एक वजह यह थी कि अभिषेक के लिए मंदिर में रसीद कटना बंद हो गई थी। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने कहा इस व्यवस्था को अब ऑनलाइन किया जा रहा है।
भस्मारती दर्शन का सबसे कम शुल्क
मंदिर में प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में होने वाली भस्मारती का शुल्क सबसे कम है,जबकि बेरिकेडिंग से दर्शन का शुल्क सबसे ज्यादा है। इसमें शामिल होने के लिए लोग,बिचोलियों से 800 से 1500 रुपये तक में भी परमिशन खरीद लेते हैं। मंदिर काउंटर से रोज 300 नि:शुल्क भस्मारती परमिशन जारी होती है, लेकिन इसकी व्यवस्था पर हमेशा प्रश्नचिंह लगते रहे है। किसको कैसे जारी होती है, यह बात कोई नहीं जानता।
विरोध के बाद फैसला
पुजारियों और पुरोहितों ने प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था के विरोध में धरना दिया था। इस विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद मंदिर प्रबंध समिति की इस व्यवस्था को शीतयुद्ध के रूप में भी देखा जा रहा है। अब यह मामला आने वाले समय में कौनसा मोड़ लेगा, इस पर नजरें हैं। पुजारियों का मानना है कि इस नई व्यवस्था से मंदिर प्रशासन की आय और बढ़ेगी।
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