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इंदौर में रंग पंचमी पर निकली ऐतिहासिक गेर
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इंदौर। रंगपंचमी पर इंदौर में ऐतिहासिक गेर निकाली जा रही है। यहां रविवार सुबह से ही रंग-गुलाल उड़ने लगा था। इंदौर की ऐतिहासिक गेर में शामिल होने के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लोग परिवार के साथ और युवाओं की टोली राजवाड़ा पहुंच गई। जैसे-जैसे संस्थाओं की गेर राजवाड़ा पहुंच रही थी, लोगों में उत्साह देखते ही बन रहा था। इंदौर के राजकमल बैंड की धुन पर भी लोग जमकर झूमे। इस बार पिछली वर्ष के मुकाबले ज्यादा लोग गेर देखने पहुंचे हैं। लाखों लोगों की भीड़ राजवाड़ा पर देखी गई। कई संस्थाओं की गेर निकलने के बाद भी लोगों के आने का सिलसिला जारी है।

 

 

इस ऐतिहासिक गेर से इंदौर में आसमान सतरंगी हो गया है। जहां तक नजर जा रही है, वहां तक जमीन से लेकर आसमान तक उड़ते रंग-गुलाल नजर आ रहे हैं। लोगों का उत्साह चरम पर है। जैसे-जैसे गेर आगे बढ़ रही है, लोगों का हुजूम बढ़ता जा रहा है। करीब एक लाख से ज्यादा लोग इसमें शामिल हैं। शहर की इस ऐतिहासिक गेर में लोग परिवार के साथ पहुंचे। तीन किलोमीटर से लंबी गेर निकलने का सिलसिला फिलहाल जारी है। कॉलोनियों और गली-मोहल्लों में लोग एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं। वहीं सराफा बाजार और गोपाल मंदिर के आसपास भी लोग रंग खेलते नजर आ रहे हैं।

 

 

राजवाड़ा पहुंची टोरी कार्नर की गेर

रविवार पूर्वाह्न सवा 11 बजे सबसे पहले टोरी कार्नर की गेर राजवाड़ा पहुंची। राजवाड़ा पर हर कोई रंग में रंगा नजर आया। रंगपंचमी का उल्लास चारों तरफ दिख रहा था। यह गेर टोरी कार्नर से मल्हारगंज, खजूरी बाजार, राजवाड़ा पहुंची। इसके बाद गेर गोपाल मंदिर, सराफा, नृसिंह बाजार होते हुए पुन: इतवारिया बाजार से मल्हारगंज पहुंचेगी। आयोजक शेखर गिरि ने बताया कि इस बार गेर के साथ 20 महिला बाउंसर भी साथ थीं। ये बाउंसर शहर के बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों का सहयोग करेंगी। इसके साथ ही जबलपुर के जूनियर अमिताभ डांसरों के साथ नृत्य करते चल रहे थे। यह शहर की सबसे पुरानी गेर है।

 

 

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय भी गेर में शामिल हुए। वे दोपहर 1.30 बजे गेर का हिस्सा बने। उनके साथ विधायक रमेश मेंदोला भी थे। इससे एक दिन पहले शनिवार रात को वे बजरबट्टू सम्मेलन में चाचा चौधरी बनकर आए थे।

 

 

निगम की झांकी में स्वच्छता का संदेश

शहर की ऐतिहासिक रंगारंग परंपरा में पहली बार इंदौर नगर पालिक निगम भी भागीदार बन रहा है। गेर में पहली बार नगर निगम का काफिला भी शामिल हुआ। निगम की गेर में पानी के दो टैंकरों और रथ के साथ कुल दस गाड़ियां शामिल हुईं। गेर की झांकियों में नगर निगम ने स्वच्छता व पर्यावरण का संदेश देते हुए शासन की योजनाओं को भी प्रचारित किया। गेर में राधाकृष्ण की झांकी के साथ एक पेड़ आकर्षण का केंद्र रही। इसकी शाखाओं से सुंगधित रंगों की फुहार उड़ती रही।

 

 

रसिया कार्नर नवयुवक मंडल की गेर हरिराम मंदिर राजमोहल्ला से कैलाश मार्ग, रामाशाह मंदिर, मल्हारगंज, गोराकुंड चौराहा, खजूरी बाजार से राजवाड़ा पहुंची। आयोजक पं. राजपाल जोशी ने बताया कि गेर में 20 से अधिक वाहन शामिल हुए। इनमें ई-रिक्शा, रंगीन पानी के टैंकर, मिसाइल, डीजे वाहन, तांगे, रनगाड़े आदि थे। इसमें रंग उड़ाने के पुराने तरीकों के साथ आधुनिक तरीकों का भी इस्तेमाल किया गया। यह यात्रा बद्रीनारायण मंदिर नृसिंह बाजार में पूजा अर्चना के बाद निकाली गई। यात्रा सीतलामाता बाजार, गोराकुंड, खजूरी बाजार, राजवाड़ा पहुंची। आयोजक राजसिंह गौड़ ने बताया कि यात्रा में राधाकृष्ण का रथ शामिल हुआ। इसे मातृशक्तियों ने अपने हाथों से खींचा। इस बार महिलाओं के लिए महिला कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा घेरा भी बनाया। रथ से भगवान कृष्ण ने टेसू के फूलों से निर्मित सुगंधित रंग उड़ाया।

 

 

मारल क्लब उत्सव समिति की गेर छीपा बाखल से सागर ज्यूस, गोराकुंड, खजूरी बाजार से राजबाड़ा पहुंची। आयोजक अभिमन्यु मिश्रा ने बताया कि यात्रा में टेसू के फूलों का रंग आधुनिक मशीनों से उड़ाया गया। काफिले में 30 से अधिक वाहन गेर में शामिल हुए। इसमें 40 हजार क्षमता के टैंकर, मिसाइलें, गुलाल वाहन शामिल हुए। दो डीजे वाहन मुंबई से विशेष तौर पर बुलाई गई थी। इसमें 60 सदस्यीय ढोलक-ताशा पार्टी, वॉलेंटियर्स आदि शामिल हुए।

 

संगम कार्नर चल समारोह समिति की गेर का यह 68वां वर्ष है। यह गेर सुबह 11 बजे शुरू होकर कैलाश मार्ग, टोरी कार्नर, गोराकुंड, खजूरी बाजार, राजवाड़ा, गोपाल मंदिर, सराफा, सीतलामाता बाजार, इतवारिया बाजार, लुहारपट्टी पर समाप्त हुई। आयोजक कमलेश खंडेलवाल ने बताया, इस बार गेर का प्रमुख आकर्षण बरसाना की टीम की लट्ठमार होली, भगवान राधाकृष्ण का रासरंग और बांके बिहारी का ढोल आकर्षण का केन्द्र रहा।

 

युवा जोश में तो रहें, लेकिन होश न खोएंः लालवानी

 

सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि शहर में गेर की परंपरा बहुत पुरानी है। इंदौरवासियों ने इस परंपरा को उसी जोश और जज्बे के साथ कायम भी रखा है। पहले इसमें युवा पुरुष ही अधिक शामिल होते थे, लेकिन अब माहौल बदला है और इसमें युवतियां, महिलाएं परिवार सहित शामिल होती हैं। मैं युवाओं से अपील करूंगा कि गेर में वे जोश में तो रहें, लेकिन होश न खोएं। हम विदेशियों सहित देशभर से लोगों को गेर देखने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। छोटी सी गलत हरकत हमारी छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। हमने पुलिस से भी बात की है कि यदि कोई अभद्रता करता है या माहौल खराब करता है तो उससे सख्ती से निपटा जाए।

Kolar News 12 March 2023

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