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मध्यप्रदेश में बेमौसम हो रही बारिश किसानों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। पांच दिन में तेज बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की वजह से 20 से ज्यादा जिलों में गेहूं-चने और सरसों समेत अन्य फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। 80% से ज्यादा फसलें या तो खेतों में खड़ी हैं, या फिर कटकर खलिहान में रखी है। इन पर फिर से संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 15 मार्च से फिर बारिश का दौर शुरू होगा, जो तीन-चार दिन तक चलेगा। अरब सागर से आने वाली हवाओं के चलते पूरे प्रदेश में असर रहेगा। बारिश के साथ ओले गिरेंगे और तेज आंधी भी चलेगी।प्रदेश में 3 मार्च से मौसम बदला था और 5 मार्च से बारिश का दौर शुरू हो गया था। कई शहरों में तो 60 Km प्रति घंटे की स्पीड से आंधी चली। वहीं, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, मंदसौर, रतलाम, नर्मदापुरम, विदिशा, राजगढ़, बड़वानी, सीहोर, रायसेन, धार, हरदा, शाजापुर, छिंदवाड़ा, आगर-मालवा, खंडवा, सतना समेत 20 से ज्यादा जिलों में कहीं हल्की तो कहीं तेज बारिश-आंधी के साथ ओले भी गिरे। इस कारण गेहूं-चने और सरसों की फसलों को नुकसान हुआ। CM शिवराज सिंह चौहान ने प्रभावित फसलों का सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। कई जिलों में मंत्री-विधायक भी प्रभावित फसलों का जायजा लेने के लिए खेतों में उतरे हैं।प्रदेश में रबी का रकबा 135 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसमें गेहूं, चना, सरसों की फसलें ज्यादा बोई गई है। अभी भी 80 प्रतिशत फसलें खेतों में ही खड़ी है, या खलिहान में रखी है।3 से 9 मार्च के बीच साउथ वेस्ट राजस्थान में प्रेरित चक्रवात बना। इसके अलावा, उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय रहा। इस कारण एक्टिविटी हुई। साउथ कोंकण से लेकर सेंट्रल छत्तीसगढ़ तक ट्रफ लाइन गुजरने से सिस्टम और मजबूत हो गया। इसी की वजह से वेदर डिस्टर्ब हुआ। प्रदेशभर में ओले, बारिश और आंधी का दौर चला। यह सिस्टम 10 मार्च को खत्म हो जाएगा। इसके बाद गर्मी का असर पड़ेगा।
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