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ग्वालियर की क्राइम ब्रांच पुलिस ने 5 दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार NHM संविदा स्टाफ नर्सिंग भर्ती पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड पुष्कर पांडे और राजीव नयन मिश्रा को दिल्ली हाईवे से बिना नंबर की फॉर्च्यूनर गाड़ी से गिरफ्तार किया है। पुलिस की अब तक की पूछताछ में पकड़े गए मास्टरमाइंड ने बताया है कि उन्होंने पर्चा बनाने वाली एनिमल कंपनी की वेबसाइट हैक कर कर पर्चा वाटा बैठा था। साथ ही उन्होंने बताया है कि पुलिस से बचने के लिए उन्होंने 5 दिन पहले ही नई फॉर्च्यूनर गाड़ी खरीदी है। पुलिस की टीमें लगातार मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए 5 राज्यों के 30 शहरों में लगातार दबिश दे रही थी। तब कहीं मास्टरमाइंड पुलिस की हत्थे चढ़े हैं, पुलिस अब इन्हें कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी की किस तरह इन्होंने MEL कंपनी की वेबसाइट को हैक करके पर्चा बाटा था।पुलिस का कहना है कि मास्टरमाइंड पुष्कर पांडे और राजीव नयन मिश्रा पर कई अपराधिक मामले पहले से ही दर्ज हैं। मास्टरमाइंड पुष्कर पांडे पर 2015 में 302 हत्या के मामले में इलाहाबाद से फरार है। वह दूसरा आरोपी राजीव मिश्रा भोपाल के कॉलेज से बीटेक किया हुआ है और उसने ही MEL कंपनी की वेबसाइट को हैक करके पर्चा निकाला था जिसके बाद पर्चे को परीक्षा देने वाले स्टूडेंट को बांट गए थे। और 2021 और जो दूसरा आरोपी है वह 2021 में UPSCS पेपर लिक प्रकरण में आरोपी था और जेल में भी रहकर आया है।
पुलिस की पूर्व की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गिरोह 10 से ज्यादा परीक्षाओं के पेपर लीक कर चुका है। और उसका अगला टारगेट उत्तर प्रदेश का मेडिकल टेस्ट था।पुलिस की पिछली जांच ग्वालियर तक सिमटकर रह गई है, जबकि रैकेट के तार इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रतलाम से भी जुड़ने के सबूत मिले थे। कांग्रेस ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने मामला सिर्फ ग्वालियर पुलिस के सुपुर्द कर लीपापोती कर दी। मामला गंभीर है, लेकिन उस स्तर की जांच ही नहीं हो रही।ग्वालियर के डबरा स्थित टेकनपुर में 7 फरवरी को NHM संविदा स्टाफ नर्सिंग परीक्षा से पहले पुलिस ने पेपर आउट करने वाली गैंग के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। पेपर रद्द कर दिया था। बाद में हाईकोर्ट ने भी आगामी आदेश तक परीक्षाओं पर रोक लगा दी। आरोपी हाईवे पर होटल से 2 से 3 लाख रुपए में नर्सिंग की तैयारी कर रहे छात्रों को आने वाले पेपर के सवाल सॉल्व करा रहे थे।गिरोह के अन्य सदस्य व चेन को तलाशने के लिए पुलिस की 6 टीम, जिनमें 45 जवान व अफसर थे। चार से पांच राज्यों में 10 दिन तक खाक छानने के बाद लौट आए थे। इसके बाद पुलिस ने भोपाल से एक एजेंट को पकड़ा, जिसके अकाउंट में मास्टरमाइंड ट्रांजेक्शन करता था। डेढ़ महीने में 50 लाख और एक साल में डेढ़ करोड़ रुपए फेक पंजीयन पर बनी कंपनी के नाम पर खोले गए खाते में आए थे।
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