Advertisement
मध्यप्रदेश में चूहे बहुत हैं और ये सरकारी कार्यालयों में रखे रिकॉर्ड्स कुतर जाते हैं। इन्हें कैसे भगाएं, इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने 65 साल पहले नियम-कानून बनाए। इसी के तहत आज तक बिल्ली पाली जाती है, जिसकी खुराक का इंतजाम सरकार कंटिन्जेंसी फंड से करती है। इसे संभालने के लिए भी कई नियुक्तियां की गई हैं।ये अकेला नियम नहीं है, जो आपको अजीब लगे। सामान्य प्रशासन, राजस्व सहित 64 विभागों में ऐसे 200 से ज्यादा नियम-कायदे चिह्नित किए गए हैं, जिन्हें खत्म करने की तैयारी है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने इन विभाग से उन कानूनों-नियमों की जानकारी मांगी है, जो चलन में नहीं हैं या जिनकी उपयोगिता खत्म हो गई है। इन्हें कैबिनेट में रखा जाएगा।65 साल से मंत्रालय से तहसील तक के दफ्तरों में बिल्ली पालने की व्यवस्था है। इससे दफ्तरों के तहखानों में जमा कागजी रिकॉर्ड चूहों से बच जाता है। इसके दूध की व्यवस्था मंत्रालय के कंटिन्जेंसी फंड (आकस्मिक निधि) से होती है। कलेक्ट्रेट में ये काम नाजिर करते हैं। लेकिन, अब ई-ऑफिस शुरू हो गए हैं। बजट के भी सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन हैं, इसलिए बिल्ली का काम अब खत्म।टाइपिंग मशीन पूरी तरह से सरकारी दफ्तरों में खत्म हो चुकी है, उनकी जगह कंप्यूटर ने ले ली है। बावजूद इसके अभी भी टाइपिंग मशीनों की रिपेयरिंग के लिए दफ्तरों में टाइपराइटर मैकेनिक की पोस्ट है। यह पोस्ट डाइंग कैडर में नहीं की गई है, ताकि ये पद खत्म किए जा सकें। इनकी जगह कंप्यूटर दक्ष लोगों की भर्ती होगी।पूर्व में साइक्लो स्टाइल मशीन चलन में थी, जिनमें स्टेंसिल कटता था, जो पतले प्लास्टिक का रहता था। इसमें टाइपिंग करने में प्लास्टिक से कटकर अक्षर टाइप हो जाते थे और मैटर टाइप हो जाता था, स्याही लगा दी जाती थी, जिससे एक बार में 70 से 80 कॉपी निकल जाती थी। ये मशीनें दफ्तरों से पूरी तरह से हट चुकी हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए डुप्लीकेटिंग सुपरवाइजर कार्यरत हैं।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |