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महिलाओं द्वारा फोन इस्तेमाल करने के लिहाज से मध्यप्रदेश की स्थिति देश में सबसे खराब है। राज्यसभा में केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु के बीच 53.9% महिलाएं निजी फोन का उपयोग करती हैं। जबकि मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा सिर्फ 38.5% है। इनमें से इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या और भी कम है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक देश में कुल 33.3% महिलाओं की ही पहुंच इंटरनेट तक है।इस अनुपात से मध्यप्रदेश के लिए यह आंकड़ा करीब 23% पर सिमट जाता है। कोविड महामारी के बाद पूरी तरह बदल चुके सूचना क्रांति के इस दौर में डिजिटल लिंगभेद से जुड़े ये आंकड़े महिलाओं के लिए तिहरे नुकसान की चेतावनी देते हैं, जो पहले से ग्रामीण-शहरी और आय आधारित डिजिटल विभाजन को झेल रही हैं।महिलाओं के सीमित वर्ग द्वारा ही मोबाइल का इस्तेमाल कर पाने के लिए राज्यों में कम साक्षरता दर, आर्थिक स्थिति और पितृसत्तात्मक सोच जिम्मेदार है। जिन प्रदेशों में महिलाओं को अपने फोन इस्तेमाल करने की छूट नहीं है, वे अपनी आधी आबादी की साक्षरता के लिहाज से भी पिछड़े हुए हैं। नेशनल स्टैटिक्स ऑफिस (एनएसओ) के मुताबिक महिलाओं की साक्षरता के लिहाज से मध्यप्रदेश देश का सातवां सबसे पिछड़ा राज्य है। एक शोध के मुताबिक राज्य की एक बड़ी आबादी महिलाओं द्वारा निजी फोन के उपयोग करने को आजाद यौन प्रवृत्ति को बढ़ावा देने से जोड़कर देखती है।
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