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उज्जैन। रक्षा बंधन पर बहन अपनी रक्षा के लिए भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। भाई ताउम्र रक्षा का वचन देता है। उज्जैन में इसके उलट एक 80 वर्षीय बहन ने न केवल अपने 85 वर्षीय भाई की करीब 20 वर्ष तक सेवा की, बल्कि निधन होने पर गुरूवार को चक्रतीर्थ ले जाकर अंतिम संस्कार भी अपने हाथों से किया। यह वह वक्त था, जब मृतक की पत्नि/बेटा मौजूद नहीं था, क्योंकि उन्होने लम्बे अरसे से अपने पति/पिता से सम्पर्क तोड़ लिया था।
गुरूवार को चक्रतीर्थ पर शहर के अर्जुन नगर निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला सुशीला राठी ने अपने 84 वर्षीय भाई का अंतिम संस्कार किया। उन्होने अपने भाई की लगभग 20 वर्षो तक निस्वार्थ सेवा की और उनके बीमार होने पर स्वयं की अस्वस्थता के बावजूद अस्पताल में भाग दौड़ करती रही। उनका कहना था कि उनके अथक प्रयासों के बाद भी वे अपने भाई कृष्ण कुमार का को बीमारी से बचा नहीं पाई। चक्रतीर्थ पर गुरूवार को जब 80 वर्षीय बहन अपने भाई की देह का अंतिम संसार स्वयं के हाथो से कर रही थी, तो मौके पर मौजूद लोगों की आंखों से अश्रु बह निकले। लोगों का कहना था कि ऐसा अपनापन आज के युग में बहुत ही कम देखने को मिलता है।
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