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जनता के सवालों को विधानसभा में विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने पूछे
 यशपाल सिंह सिसोदिया

मध्यप्रदेश में जनता के सवालों को विधानसभा में पूछने के मामले में मंदसौर से तीन बार के भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया सबसे आगे हैं। उन्होंने 15वीं विधानसभा के अब तक के कार्यकाल में 400 से अधिक सवाल पूछे हैं। उन्हीं की वजह से देशभर में पोस्टमॉर्टम से जुड़ा नियम बदल गया। सबसे पीछे हाटपीपल्या से बीजेपी विधायक मनोज चौधरी और धरमपुरी से कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा हैं, जिन्होंने मात्र तीन-तीन सवाल पूछे हैं। विधायकों की यह परफॉर्मेंस विधानसभा के रिकॉर्ड से सामने आई है।विधानसभा का बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू हो रहा है। सरकार 1 मार्च को अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी। यह चुनावी साल है, ऐसे में विधायकों के लिए यह सत्र कई मायनों में अहम है। दैनिक भास्कर ने विधानसभा में विधायकों के प्रदर्शन की पड़ताल की।विधानसभा की कार्यवाही का रिकॉर्ड बताता है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व पांच बार के विधायक डॉ. सीताशरण शर्मा ने गंभीर मुद्दों की बहस में सबसे ज्यादा बार हिस्सा लिया है, चाहे विधेयक हो या फिर बजट। शर्मा ने अपने अनुभव व तर्कों के साथ अपनी बात सदन में वजन के साथ रखी है।इसी तरह नेता प्रतिपक्ष और 7 बार के कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह विधानसभा में प्रमाण के साथ सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने में सबसे आगे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ अनुभवी विधायकों की परफॉर्मेंस सबसे अच्छी रही। पहली बार के जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना भी टॉप विधायकों की सूची में शामिल हैं। सक्सेना सबसे ज्यादा सवाल पूछने वालों की सूची में टाॅप 3 में हैं।मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया कहते हैं कि लंबित कामों को तत्काल कराने के लिए विधानसभा में सवाल लगाने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है, इसलिए विधानसभा में एक-एक प्रश्न का महत्व है। मैंने एक सवाल किया था कि प्रदेश के 5 बड़े शहरों में कुत्तों की नसबंदी पर कितना पैसा खर्च किया गया है। क्या नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं खत्म हो गई हैं। सरकार के जवाब से पता चला कि एक NGO को इस काम के लिए 13 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है।14वीं विधानसभा के दौरान विधायक सिसोदिया ने ध्यानाकर्षण लगाया था कि सूर्यास्त के बाद पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं हो सकता? इस पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और सिसोदिया के बीच करीब आधे घंटे तक सदन में बहस हुई थी। इसके बाद मिश्रा ने सरकार की ओर से भोपाल को छोड़कर पूरे प्रदेश में रात 10 बजे तक पोस्टमॉर्टम किए जाने का निर्णय लिया। इस पर सिसोदिया कहते हैं कि मेरे उठाए गए मुद्दे की प्रासंगिकता थी कि बाद में केंद्र सरकार ने इस नियम को पूरे देश में लागू किया।

Kolar News 26 February 2023

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