33 मीटर की सीमा कलियासोत नदी के बीच से तय हो या किनारे से
कलेक्टर ने माँगा मार्गदर्शन कलियासोत नदी सीमांकन मामले में कलेक्टर ने शासन को दोबारा पत्र लिख कर मार्गदर्शन मांगा है। इसमें पूछा गया है कि नदी का दायारा कहां से माने जाए। 33 मीटर की सीमा नदी के बीच से तय हो या किनारे से। जब तक इन बिंदुओं पर जानकारी नहीं आ जाती सीमांकन का काम अटका रहेगा। उधर, शासन ने कलेक्टर के पहले पत्र के बाद टीएंडसीपी से मामले में स्पष्टीकरण मांगा है, जो अब तक नहीं आया है। जबकि जिला प्रशासन को कलियासोत सीमांकन मामले में 4 मार्च को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में रिर्पोट प्रस्तुत करनी है। यहां सीमांकन किस तरह किया जाना है, यह भी तय नहीं हो पा रहा है।नदी के दोनों ओर से 33 मीटर दायरे का सीमांकन किया जाना है। जिला प्रशासन करीब 20 किमी के दायरे का सीमांकन कर चुका है। इस दौरान एक दर्जन बिल्डर, झुग्गी बस्तियां और जेके हॉस्पिट का कुछ हिस्सा अतिक्रमण में आया है। इसके बाद से जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। इसके चलते जिला प्रशासन ने सीमांकन को लेकर शासन से मार्गदर्शन मांगा है।45 मीटर का होना सीमांकनएनजीटी के सख्त रवैये के बाद जिला प्रशासन ने कलियासोत नदी का सीमांकन 15 दिसंबर से शुरू किया था। राजस्व अमले को कलियासोत डेम से समरधा तक करीब 45 किमी का सीमांकन करना है। अब तक सिर्फ 20 किमी का सीमांकन हुआ है।इन बिंदुओं पर मांगा मार्गदर्शन -अतिक्रमण में आने वाली कॉलोनियों को विकास अनुमतियां प्रचलित निर्देशों के तहत दी गई थीं, अब बगैर वैधानिक आधार के सीमांकन उचित नहीं होगा।कलियासोत नदी से लगे ग्रामों का रिकार्ड नहीं है, जिससे सीमांकन कार्य त्रुटिपूर्ण हो रहा है।कालोनियों का निर्माण वर्ष 1995 से 1990 के आसपास अनुमतियां लेकर किया गया है। यहां नदी का किनारा स्पष्ट नहीं है व परिवर्तनशील है , ,आवेदकों ने नदी के मध्य से 33 मीटर की दूरी नापे जाने का अनुरोध किया है।इससे प्रभावित इलाके हैं बाबड़ियाकलां, सलैया, चूनाभट्टी, शाहपुरा, दामखेड़ा, बंजारी, सनखेड़ी, नरेला हनुमंत, खड़बमुलिया, पिपलिया रानी, समरधा, हिनोतिया आलम, सुहागपुर, गुरारीघाट, कोड़ी शामिल है।