Advertisement
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने राज्य शासन को अहम अनुशंसाएं की हैं। आयोग ने राज्य शासन से कहा है कि बंदियों की नियमित व अनिवार्य जांचें गंभीरतापूर्वक करायी जायें। जेलों में स्वास्थ्य सेवाएं, जिसमें चिकित्सक, कम्पाउण्डर एवं पैरा मेडिकल स्टाॅफ शामिल है, के रिक्त पदों की पूर्ति सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर की जाये। आयोग ने कहा कि जेलों में संविदा पर पदस्थ चिकित्सकों का मानदेय स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत पदस्थ संविदा चिकित्सकों से समान करने एवं उन्हें तीन वर्ष बाद पीजी में प्रवेश की सुविधा दिये जाने के जेल विभाग के प्रस्ताव पर शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। उज्जैन जिले के प्रकरण में आयोग ने अतिरिक्त अनुशंसा करते हुये राज्य शासन से कहा है कि जेल प्रबंधन एवं डाक्टर की उपेक्षा व समुचित उपचार न कराने के कारण मृतक बंदी रामविलास पिता भुजराम के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में दे दी जाये। मप्र मानव अधिकार आयोग ने तीन मामलों की जांच में यह पाया कि बंदियों के जेल में प्रवेश के दौरान उनकी अनिवार्य स्वास्थ्य जांचें न कराये जाने के कारण बंदियों की शारीरिक स्थिति बिगड़ती गई और अंततः उपचार के दौरान तीनों ही मामलों में बंदियों की असमय मृत्यु हो गई। आयोग ने पाया कि बंदियों की स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति जेल प्रबंधन की घोर लापरवाही और उनका वांछित, समुचित उपचार न कराये जाने के कारण ही यह स्थिति निर्मित हुई। अतः बंदियों की नियमित व अनिवार्य जांचें अति गंभीरतापूर्वक एवं पूरी जिम्मेदारी के साथ करायी जायें।
Kolar News
23 September 2022
All Rights Reserved ©2024 Kolar News.
Created By: Medha Innovation & Development
|