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राजधानी से स्लम खत्म करने के नाम पर बीते 12 साल में 4000 करोड़ रुपए से अधिक राशि के खर्च पर सवाल उठ रहे हैं। कम होने की बजाय इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्लम वासियों को पक्के मकान देने का काम किया जा रहा है। लेकिन स्लम है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। यही स्थिति शहर में 50 हजार से अधिक गुमठियों की है। इनके लिए भी दिखावे का ही काम हुआ। भोपाल मास्टर प्लान तैयार करने के लिए किए गए सर्वे में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। शहर की 23 लाख आबादी में से सात लाख स्लम और अवैध कॉलोनियों में निवास करती है। स्लम निवासियों की बात करें तो इनकी संख्या तीन लाख से अधिक है। सात लाख की ये आबादी प्रदेश के किसी भी छोटे शहर की कुल आबादी के बराबर है।
शहर में अतिक्रमण अमला रोजाना अलग-अलग क्षेत्रों में 40 से अधिक गुमठियां हटाता है, बावजूद इसके शहरभर में 50 हजार निगम में दर्ज गुमठियां हैं। इनकी संख्या इससे अधिक हो सकती है। हर दिन ये कम होने की जगह बढ़ रही है, जबकि गुमठी विस्थापन के लिए बीते सालों में हॉकर्स कॉर्नर व अन्य कामों पर करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं। सरकारी आवास परिवार के प्रमुख सदस्य के नाम आवंटित कराने के बावजूद परिवार के कुछ सदस्य वह झुग्गी नहीं छोड़ते हैं। यदि निगम आवास आवंटन के बाद झुग्गी तोड़ भी देता है तो उसी क्षेत्र में अन्य किसी सरकारी जगह पर झुग्गी तान ली जाती है। सरकारी आवास 350 वर्गफीट का होता है, जबकि झुग्गी में 1000 से 1500 वर्गफीट की जमीन घेरी हुई होती है। बड़े मकान को छोड़कर पक्के आवास में जाना पसंद नहीं किया जाता। स्थानीय जनप्रतिनिधि वोट बैंक की राजनीति के तहत झुग्गी विस्थापन का विरोध करते हैं। ऐसे में पक्का आवंटित आवास किराए पर चलवा दिया जाता है और परिवार वहीं स्लम में रहता है।
Kolar News
7 June 2022
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