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खंडवा। खंडवा जिले के हरसूद में एक किसान की 21 एकड़ जमीन इंदिरा सागर डैम के डूब क्षेत्र में आ गई थी। मुआवजा के लिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। करीब 22 साल बाद अदालत ने किसान के हक में फैसला सुनाया है। उसे डूब में आई जमीन के लिए 16 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। उसे सरकारी संपत्ति कुर्क कर यह मुआवजा दिया जाएगा।
अदालत से केस जीतने वाले हरसूद के निवासी किसान नरेंद्र कुमार सांड ने मंगलवार को बताया कि उसके 21 एकड़ जमीन थी, जो इंदिरा सागर डैम के डूब क्षेत्र में आ गई थी। मैं 22 साल से कोर्ट में जमीन के मुआवजे की राशि के लिए शासन से लड़ रहा हूं। पहले शासन ने जमीन की कीमत 30 पैसे प्रति स्क्वेयर फीट यानी 13 हजार रुपये एकड़ के अनुसार आंकी थी। जमीन की कीमतों को लेकर मैंने अपने वकील के जरिए जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की। 2 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने 21 एकड़ जमीन को लेकर मेरे पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने वर्तमान दर के अनुसार जमीन की कीमत को आंकते हुए राज्य शासन व एनएचडीसी (नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिकल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) को मुझे 16 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही पूरी राशि मिलने तक, 15 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देने को कहा। आदेश के तीन माह बीत जाने के बाद भी राशि जमा नहीं की गई, तो वसूली पाने के लिए मैंने खंडवा कोर्ट में निष्पादन याचिका लगाई गई थी। कोर्ट ने इसे मंजूर की। वहीं याचिका के विरुद्ध एनएचडीसी के वकील ने स्थगन का आवेदन दिया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
सरकार को 21 एकड़ जमीन पर 3 लाख के मुआवजे के बदले 16 करोड़ देना है। यह रिकवरी कलेक्ट्रेट और एनएचडीसी के जनरल मैनेजर, कार्यपालन यंत्री व भूअर्जन अधिकारी के जरिए कराई जानी थी। उन्होंने अपने वकील मयंक मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में अपील की थी। सोमवार को न्यायालयीन अधिकारी संपत्ति कुर्क करने के लिए कलेक्टर कार्यालय, एनएचडीसी समेत अन्य अफसरों के दफ्तर पहुंचे। एनएचडीसी के अफसर तो दफ्तर पर ताला बंद करके चले गए, जबकि कलेक्टर ने पूरे मामले को समझने के लिए कुछ दिन का समय मांगा है।
मामले को लेकर खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह का कहना है कि कुर्की को लेकर टीम दफ्तर आई थी। केस में पार्टी बनाया है, लेकिन भुगतान एनएचडीसी को ही करना होगा। इसको लेकर एनएचडीसी के अधिकारियों से चर्चा हो गई है।
Kolar News
15 March 2022
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