भोपाल/होशंगाबाद। रायसेन जिले के एक गांव से रेस्क्यू करके लाई गई बाघिन आखिरकार गुरुवार शाम करीब 7 बजे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना पहुंच गई। बाघिन को रात्रि 8 बजे तक विशेष बाड़े में छोड़ दिया गया था। एसटीआर का अमला बाघिन के व्यवहार पर नजर रख रहा है।
रायसेन जिले के सिरवारा गांव से रेस्क्यू किए जाने के बाद डेढ़ वर्षीय बाघिन को चूरना भेजा गया था, लेकिन उसके बीमार और घायल होने के कारण उसे उपचार के लिए वन विहार भेज दिया गया था। यहां 17 दिनों तक वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता और उनकी टीम ने बाघिन का उपचार किया। बाघिन के स्वस्थ हो जाने के उपरांत गुरुवार को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. गुरुदत्त शर्मा के नेतृत्व में आई टीम उसे चूरना ले गई। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एस.के.सिंह ने बताया कि बाड़े में बाघिन की गतिविधियां पूरी तरह से सामान्य हैं। बाघिन के बाड़े में एक बकरा बांधा गया था, लेकिन अभी तक उसका शिकार नहीं किया है। उनका कहना है कि संभवत: भूख न लगने की वजह से बाघिन ने उसका शिकार नहीं किया है।