बजट से आशाएं और आशंकाएं
मध्यप्रदेश बजट सामने आ चुका है। बजट के साथ ही लोगों में दैनिक जीवन के प्रति आशा और आशंकाएं एक साथ जन्म लेती हैं। किसी भी राज्य का बजट पूरे समाज और उसके विभिन्न वर्गों को एक साथ प्रभावित करता है। हालांकि सरकार का बजट आर्थिक जानकारों के लिए बड़ा विषय होता है लेकिन जनसामान्य के लिए यह जीवन उपयोगी चीजों के सस्ते या महंगे होने के आसार से निर्धारित होता है। नए बजट में अनुमानित प्राप्तियां एक लाख 30 हजार 815 करोड़ रुपए होंगी और खर्चे एक लाख 31 हजार 199 करोड़ होंगे। अक्सर हर बजट के लिए लोगों में कुछ उत्साह और निराशा का माहौल बनता है। इसमें लोगों की रुचि प्रमुख रूप से खाने पीने और दैनिक उपयोग की चीजों पर केंद्रित अधिक होती है। दूसरी तरफ व्यापार से संबंधित फैसलों पर लोगों का ध्यान रहता है। वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया कि केंद्र ने करों से प्राप्त राशि में राज्यों के हिस्से को 10 फीसदी कर दिया है। इस से ‘मेक इन मध्यप्रदेश’ का वादा पूरा होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मध्यप्रदेश के बजट में करीब 40 वस्तुओं पर वैट कम किया गया है। सच यह है कि धन की उपलब्धता से ही विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों को लागू किया जा सकता है। मध्यप्रदेश सरकार इस बार बजट में कुछ खास चीजों पर जोर नहीं लेकिन सबको कुछ न कुछ देने वाला बटज कहा जा सकता है। राजस्व बढ़ाने की कोशिश में सरकार ने मकान बनाना जहां महंगा कर दिया गया है, वहीं तंबाकू उत्पाद महंगे किए गए हैं। अनुपयोगी और अस्वास्थ्यकर वस्तुओं के प्रति मध्यप्रदेश में सख्ती का माहौल रहा है। तम्बाकू उत्पादों पर वैट दुगने से अधिक करना इसका संकेत है। किसी भी राज्य के लिए अधिकतम ध्यान रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, जीवन स्तर, महंगाई नियंत्रण, भोजन और वंचित तबकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित होता है। जनसामान्य के कल्याण में रोजगार की उपलब्धता, शिक्षा की सुविधाएं, स्वास्थ्य सेवाओं की दूरदराज तक पहुंच आदि शामिल हैं। यदि इस दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश के बजट को देखें तो वित्त मंत्री इसे पूरा करने की कोशिश करते ही दिखाई देते हैं। यह अच्छी बात है कि किसानों को करीब18 हजार करोड़ का कर्ज दिया जाएगा। इससे ग्रामीण अर्थ व्यवस्था और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ने का अवसर मिलेगा। इससे जुड़ी दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि उद्योगों की स्थापना के लिए बेहतर अधोसंरचना पर जोर दिया जा रहा है। कौशल विकास के लिए आठ हजार करोड़ प्रस्तावित किए गए हैं। इससे रोजगारपरक कुशलता का युवाओं में विस्तार होगा। इससे रोजगार और नौकरी करने वाले युवाओं को काम मिलने के अवसर बढ़ेंगे। हालांकि मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना अपने बेहतर नतीजे के साथ सबसे लोकप्रिय है और इसके लिए एक हजार करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है। सामाजिक कल्याण, रोजगार और महंगाई को संतुलित करने वाले इस बजट का प्रभाव कितना होगा यह आने वाले वक्त में सामने आएगा।