800 करोड़ खर्च होने के बाद बोले असेस्मेंट सही नहीं
नर्मदा वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट सात साल लंबे वक्त व आठ सौ करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी अधूरा क्यों है? इसका जवाब देने में ननि अफसरों ने करीब आधा दशक लगा दिया। जवाब भी ऐसा दिया कि सुनने वाले चौंक गए। अफसरों ने वॉटर सप्लाई पर बुलाई गई निगम परिषद की विशेष बैठक में नर्मदा प्रोजेक्ट पर दलील दी कि वह प्रोजेक्ट का असेस्मेंट सही ढंग से नहीं कर पाए। इस जवाब के साथ प्रोजेक्ट की डीपीआर के साथ कंसल्टेंट एजेंसी का काम हाशिए पर आ गया है। गौरतलब है कि हर साल गर्मियों में पानी को लेकर हाय-तौबा मचती है। लिहाजा पार्षदों की मांग पर गर्मी से पहले शहर में पेयजल समस्या से निपटने की रणनीति बनाने को निगम परिषद की विशेष बैठक बुलाई गई थी। बैठक में पार्षदों को वार्डों में पानी की परेशानी के साथ उसे दूर करने के सुझाव देने थे। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। इस दौरान पार्षदों ने नर्मदा प्रोजेक्ट की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाए। जिस पर निगम अफसरों ने नर्मदा प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन दिया। इस दौरान विपक्ष ने सवाल दागे कि 2009 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट 2016 में भी अधूरा है। जबकि इसकी डेड लाइन 2011थी। पांच बार डेड लाइन बढ़ाने और लागत राशि में 75 करोड़ के इजाफे के बाद भी काम पूरा क्यों नहीं हुआ? इसका जो जवाब अफसरों ने दिया, उसे सुनकर पार्षद चौंक गए। अफसरों का कहना था कि प्रोजेक्ट व प्रोजेक्ट के तहत शहर और शहर की आबादी का आंकलन करने में गलती हो गई।