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राजधानी से सटे कोलार ,कलियासोत ,केरवा समरधा जंगल में बाघों की हलचल कम हो गई है। अब बाघिन टी-123 अकेले ही घूम रही है। पहले साथ में घूमने वाले बाघ टी-121 ने समरधा जंगल छोड़ दिया है। बाघ के फिर से रातापानी सेंचुरी वाले क्षेत्र की तरफ जाने की खबर है। वन विभाग की निगरानी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
पिछले सप्ताह बाघ और बाघिन 6 दिन तक समरधा रेंज के मेंडोरा व उसके आसपास के जंगल में साथ देखे गए थे। राजधानी के नजदीक दो बाघों की मौजूदगी के कारण जंगल से सटे आबादी वाले क्षेत्र मेंडोरा, बुलमदर फार्म, केरवा चौकी, नंदिनी गौशाला, वाल्मी पहाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में डर था। बाघों के समरधा जंगल छोड़ने से यहां के रहवासियों को काफी राहत मिली है। राजधानी के सामान्य वन मंडल भोपाल की समरधा रेंज में 5 जुलाई से 6 दिन तक बाघिन टी-123 और बाघ टी-121 साथ देखे गए थे। दोनों ने एक ही टेरेटरी में दो गाय का शिकार किया था। दोनों बाघों के साथ रहने के कारण उनके आबादी वाले क्षेत्रों तक पहुंचने का खतरा अधिक था। जिसे देखते हुए पैदल गश्ती और पेट्रोलिंग टीम ने बाघों की सुरक्षा और निगरानी दोनों बढ़ाई गई थी। वन विभाग के मैदानी अमले के मुताबिक पिछले दो दिन से बाघिन अकेले घूम रही है। 5 जुलाई के पहले भी बाघ और बाघिन दो दिन तक एक ही टेरेटरी में देखे गए थे, उसके बाद बाघ राजधानी से सटे जंगल में घूमने वाले बाघ ने टेरेटरी बदल ली थी।
Kolar News
13 July 2017
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