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चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य में जलीय जीव व प्रवासी पक्षियों की गणना हुई आरंभ
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मुरैना। राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य में विलुप्त प्राय: जलीय जीव एवं प्रवासी पक्षियों की गणना का कार्य गुरुवार से शुरू हो गया है। ग्वालियर चम्बल संभाग के मुख्य वन संरक्षक द्वारा गणना दल को नदी के पाली घाट से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। यह दल श्योपुर जिले के बरोली घाट पर शुक्रवार, 16 फरवरी की शाम पहुंच जायेगा। इस दल में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के जलीय जीव एवं पक्षी विशेषज्ञ सहित रिसर्च स्कॉलर्स को भी शामिल किया गया है।

 

आगामी 15 दिवस के दौरान उत्तरप्रदेश के पचनदा तक जलीय जीव व पक्षियों की गणना दल द्वारा की जायेगी। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 435 किलोमीटर के इस क्षेत्र में विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ाल, रिबर डाल्फिन, विभिन्न प्रकार के कछुओं सहित डेढ़ सैकड़ा से अधिक आने वाले पक्षियों एवं मगर की भी गणना की जायेगी।

 

वन विभाग द्वारा चम्बल नदी में जलीय जीव व पक्षियों की गणना का कार्य किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा इस बार गणना में उत्तर प्रदेश व राजस्थान को भी शामिल किया गया है। जिससे तीनों राज्यों में राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ाल, रिबर डाल्फिन, कछुए एवं प्रवासी पक्षियों की वास्तविक स्थिति पता चल सके। इस गणना दल में वन विभाग मध्यप्रदेश विभाग की ओर से भूरा गायकवाड़ राष्ट्रीय चंबल अभ्याहरणय अधीक्षक, ज्योति डण्डौतिया देवरी हेचरी प्रभारी, वन विभाग राजस्थान के सदस्य एवं ओमकार बीएनएचएस, तरुण नायर डबलू सि टी और विकास वर्मा, सुभाष जी डब्लू आई आई के सदस्य आदि सम्मिलित है।

 

विदित हो कि वर्ष 1975 से लेकर 1977 तक हुये विश्वव्यापी सर्वे के दौरान 196 भारतीय प्रजाती के घडिय़ाल सम्पूर्ण विश्व में पाये गये थे। इनमें चम्बल नदी में ही 46 घडिय़ाल पाये जाने के बाद चम्बल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया। इसमें से रेत व मिट्टी का उत्खनन व परिवहन प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रतिवर्ष की तरह विगत वर्ष हुये सर्वे के दौरान घडिय़ालों की संख्या 2100 से अधिक पाई गई। इस बार नदी में लगभग 50 नये घडिय़ाल और छोड़े गये हैं। इससे आंकलन किया जा रहा है कि इस वर्ष घडिय़ालों की संख्या और बढऩी चाहिए। एक मादा घडिय़ाल वर्ष में एक बार न्यूनतम 25 अधिकतम 55 अण्डे तक देती है।

 

प्राकृतिक वातावरण में घडिय़ाल की जीवन दर मात्र 2 फीसदी होने के कारण उनके संरक्षण व संवद्र्धन हेतु देवरी पर घडिय़ाल केन्द्र स्थापित किया गया है। जिसमें नदी के विभिन्न घाटों से प्रतिवर्ष 200 अण्डे लाकर निर्धारित समय पर हेचिंग होने के बाद बच्चों को 3 वर्ष तक पूर्ण सुरक्षा में रखा जाता है। इनकी लम्बाई एक मीटर बीस सेन्टीमीटर होने के बाद उन्हें चम्बल नदी के विभिन्न घाटों पर विचरण के लिये छोड़ दिया जाता है। इस वर्ष इनकी गणना के बाद यह पता चल सकेगा कि चम्बल नदी में घडिय़ालों की संख्या कितनी बढ़ी है।

Kolar News 15 February 2024

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