कलियासोत डेम के पास बाघिन के मूवमेंट ने एक बार फिर से वन विभाग की नींद उड़ा दी है। विभाग को अंदाजा था कि जंगलों के भीतर के वाटर होलों के पानी से भरे रहने के कारण वन्य प्राणी गर्मी बढ़ने के साथ ही शहरी वाटर बाडीज की ओर रूख नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। गौरतलब है एक माह पूर्व विभाग ने जंगलों की वाटर होलों का सर्वे कराया था, जिसमें यह कहा गया था कि केरवा और कलियासोत व समरधा के जंगलों के 85 वाटर होलों में पर्याप्त पानी है। हकीकत यह कि वाटर होल सूख चुके हैं और वन्य प्राणियों शहर की ओर आ रहे हैं।
शिकारियों का खतरा
शहर की वाटरबाडीज के पास आने वाले वन्य प्राणियों को शिकारियों का खतरा बराबर बना रहता है। इसके लिए वहां पर वन रक्षकों को तैनात किया गया था, लेकिन यह प्रक्रिया लंबे समय तक नहीं चल पायी। गत दिवस कलियासोत डेम के पास नीलगाय का बाघिन द्वारा शिकार किए जाने के बाद विभाग अलर्ट हो गया है और उसने इससे जुड़े क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है। अब बड़े तालाब से लेकर केरवा, कलियासोत और हथाईखेड़ा डेम के आसपास सादे कपड़ों में वन विभाग के कर्मी एकत्रित रहेंगे। इसके अलावा चौकीदारों को भी अलर्ट रहने को कहा है।