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मनुष्य की मूल प्रवृत्ति करुणा है-महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी
अवधेशानंद गिरी जी ने यहीं पर कुछ शिष्यों को गुरु दीक्षा दी

इंदौर के दस्तूर गार्डन में आयोजित एक दिवसीय प्रवचन माला के लिए महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज गुरुवार को इंदौर में थे। प्रभु प्रेमी संघ इंदौर द्वारा आयोजित प्रवचन माला में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करने से पहले अवधेशानंद गिरी जी ने यहीं पर कुछ शिष्यों को गुरु दीक्षा दी। जिसके बाद प्रवचन शुरू हुए।इंदौर के दस्तूर गार्डन में आयोजित एक दिवसीय प्रवचन माला के लिए महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज गुरुवार को इंदौर में थे। प्रभु प्रेमी संघ इंदौर द्वारा आयोजित प्रवचन माला में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करने से पहले अवधेशानंद गिरी जी ने यहीं पर कुछ शिष्यों को गुरु दीक्षा दी। जिसके बाद प्रवचन शुरू हुए।मनुष्य की मूल प्रवृत्ति करुणा है। आध्यात्मिक व्यक्ति कभी भी कन्या के घर आने पर विचलित नहीं होगा। हमेशा खुश रहेगा। एक पुत्री दस पुत्रों के बराबर होती है। 1 हजार बेटों के बराबर 1 पीपल का पेड़ है। भगवान विचार कर रहे थे की पृथ्वी पर मैं सभी दूर हूं। पीपल के पेड़ में तो पूरा-पूरा हूं। शमी, बेल पत्र, अश्व और तुलसी जैसे वृक्ष पृथ्वी पर नहीं रहेंगे तो हम पूजा कैसा करेंगे। इनके बिना पूजा अधूरी है। पुष्प में लक्ष्मी का वास है, यह हमेशा खिलते रहते हैं। इनके बिना हम रह नहीं सकते इंसान को खिलना और मुस्कराना यही सिखाते हैं। सनातन धर्म का पालन करने से ही पूर्णता आएगी। कोई पूछे कि हम कौन हैं। हम सनातनी हैं, बाद में हम सरल भाषा में कहने लगे कि हम हिंदू हैं। अध्यात्म के प्रकाश में अंधेरा नहीं रहता, छोटापन नहीं रहता। AI (आर्टफिशियल इंटिलिजैंस) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वह कहती है मुझे सरल व सही-सही भाषा दो। AI कहती है मुझे संस्कृत भाषा दो। मैं सब कुछ बताने को तैयार हूं लेकिन मुझे संस्कृत भाषा दी जाए। मुझे चाइनीज़, जापानी जैसी अन्य भाषा की जरूरत नहीं है।

Kolar News 29 June 2023

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