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16 साल की युवती यह तय कर सकती है संबंध बनाना है या नहीं-मेघालय हाईकोर्ट
दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं

मेघालय हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर POCSO के तहत दर्ज किए केस को खारिज करते हुए उसे रिहा कर दिया। शिलॉन्ग बेंच ने आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने पॉक्सो के तहत दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी।आरोपी जॉन फ्रैंकलिन का दावा था कि उसने नाबालिग का यौन उत्पीड़न नहीं किया है, बल्कि दोनों ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं।जस्टिस डिएंगदोह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इसमें कोई अपराध शामिल नहीं है। 16 साल की नाबालिग इस पर फैसला लेने के काबिल है कि सेक्स करना सही है या गलत।लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी जॉन फ्रैंकलिन कई घरों में काम करता था। इस दौरान उसकी लड़की से मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों ने जॉन के रिश्तेदार के घर सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। लड़की की मां को जब यह पता चला तो उन्होंने जॉन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। जॉन पर POCSO एक्ट 2012 की धारा 3 और 4 के तहत केस दर्ज हुआ।इसके खिलाफ जॉन ने हाईकोर्ट में अपील की। जॉन ने कहा कि यह यौन उत्पीड़न नहीं है, क्योंकि नाबालिग ने CRPC की धारा 164 के तहत अपने बयान और कोर्ट में गवाही के दौरान कहा है कि दोनों प्रेमी-प्रेमिका हैं और दोनों ने सहमति से संबंध बनाए थे। इसमें कोई बल प्रयोग शामिल नहीं था।

Kolar News 25 June 2023

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