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प्रदेश के किसी भी बाल आश्रय गृह में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाए-मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
हिंदू बच्चों को बाइबल पढ़ने और चर्च जाने के लिए मजबूर किया जाता है

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि प्रदेश के किसी भी बाल आश्रय गृह में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को किसी विशेष धर्म की शिक्षा देना किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 53 का उल्लंघन हैकटनी के आशा किरण संस्थान पर आरोप है कि वहां हिंदू बच्चों को बाइबल पढ़ने और चर्च जाने के लिए मजबूर किया जाता है। यह भी आरोप लगाए गए हैं कि यहां बच्चों को दिवाली नहीं मनाने दी जाती है और ईसाई प्रार्थना के लिए मजबूर किया जाता है।कोर्ट ने कहा कि यदि धारा 53 का उल्लंघन हो रहा है और बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही है तो राज्य शासन संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने स्वतंत्र है।इस मामले में राेमन कैथोलिक चर्च के बिशप जेराल्ड अलमीडा और संस्थान की लिजी जोसफ के खिलाफ 29 मई 2023 को जेजे एक्ट की धारा 7 और मप्र धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 एवं 5 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अलमीडा और लिजी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया था।हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि चूंकि धर्मांतरित व्यक्ति, पीड़ित व्यक्ति या उनके रिश्तेदारों द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है, इसलिए पुलिस के पास धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 के तहत किए गए अपराध की जांच करने का अधिकार नहीं है।

Kolar News 25 June 2023

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