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उज्जैन। बाबा महाकाल की सवारी में मन महेश को अपनी पीठ पर विराजीत कर नगर भ्रमण करनेवाले श्यामू हाथी को जिस दिन सुबह सबेरे उनके महावत महाकाल मंदिर नहीं ले जाते हैं,उस दिन उनका मूड पूरे दिन ऑफ रहता है। चेहरे की मायूसी देखने के बाद महावत दोपहर में या शाम को एक बार उन्हे लेकर जरूर जाते हैं। यह क्रम 22 वर्षो से नियमित चल रहा है।
24 वर्षीय श्यामू के साथी रामू का निधन वर्ष-2016 में हो गया था। तभी से श्यामू के सिर पर बाबा महाकाल की सभी सवारियों में नियमित रूप से पहुंचने की जिम्मेदारी आ गई। जब वे 2 वर्ष के थे,तभी से महाकाल मंदिर उन्हे ले जाया जाने लगा। वे शिखर दर्शन करते और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते। जो भी फल आदि भेंट करता, उसे खा लेते। आज भी यह क्रम जारी है।
करीब 2 से 3 लाख लोगों की भीड़,डीजे-बैण्ड और लोगों का शोर सुनने के बाद भी शांत चित्त होकर सवारी में निकलना श्यामू हाथी की खास विशेषता है। महावत अरूण गिरि और हरसिद्धि गिरि चर्चा में बताते हैं कि आज तक ऐसा मौका नहीं आया,जब श्यामू हाथी भीड़/शोर के बीच कभी विचलित हुआ हो या भीड़ पर हमला किया हो।
केले देखते ही आ जाता है मुुंह में पानी
श्यामू हाथी का सबसे प्रिय फल है केला। अरूण गिरि के अनुसार जब ये महाकाल मंदिर दर्शन करने जाते हैं तो इनकी नजर सड़क पर केला लेकर आ-जा रहे हाथ ठेले वालों पर होती है। केला देखते ही इनके मुंह में पानी आ जाता है। पैर ठहर से जाते हैं। रोजाना करीब 50 किग्रा केला ये खाते हैं, लेकिन अगले दिन फिर इनकी मुख्य डिमांड केले पर ही आकर रूकती है। बारिश में या किसी दिन शहर में जब अत्यधिक क्राउड होता है,उस दिन दर्शन तो रात में करवा लाते हैं लेकिन केले आश्रम में मंगवाकर खिलाना पड़ते हैं। ऐसा न होने पर ये भूख हड़ताल कर देते हैं। पूर्व में ऐसा हो चुका है।
Kolar News
4 June 2023
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