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आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
ओंकार पर्वत पर अध्यात्म लोक

मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले है.जिस वजह से हर कार्यक्रम में पार्टियां अपने वरिष्ठ नेताओं को बुला रही है.प्रधानमंत्री मोदी का एक बार फिर मध्यप्रदेश आएंगे.प्रधानमंत्री मोदी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने आएंगे।उज्जैन में महाकाल लोक के साथ खंडवा के ओंकारेश्वर स्थित ओंकार पर्वत पर अध्यात्म लोक 'एकात्मधाम' विस्तार ले रहा है। यहां ओंकार पर्वत को काटकर 28 एकड़ जमीन पर इसकी स्थापना की जा रही है।यहां आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा होगी। इसके लिए 54 फीट का आधार स्तंभ तैयार होने काे है। 52 फीट ऊंचे आधार पर आदि गुरु शंकराचार्य की बाल्य अवस्था की 108 फीट की मूर्ति की स्थापना के लिए काम किया जा रहा है। चार स्लैब में बनने वाले आधार स्तंभ का 50% काम हो चुका है। प्रदेश की सबसे ऊंची इस प्रतिमा का इसी साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनावरण करेंगे। लगभग 2 हजार करोड़ रुपए के बजट से बनने वाले के बाकी बचे हिस्से का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होगा।मध्यप्रदेश सरकार ने ओंकारेश्वर में बन रहे एकात्मधाम प्रोजेक्ट को‎ पहली बार अधिकृत तौर पर देश के सामने रखा। देश के‎ जाने-माने संत, विद्वान और ओपिनियन मेकर्स की मौजूदगी में‎ शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस प्रोजेक्ट के‎ बारे में विस्तार से बताया।आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भारत की तीन बार परिक्रमा की। उन्होंने दुनिया को अद्वैत वेदांत का सिद्धांत दिया। इस 'एकात्मधाम' में आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन दर्शन को बताने वाला संग्रहालय, अद्वैत वेदांत सिद्धांत के अध्ययन के लिए संस्थान भी होगा। ओंकार पर्वत पर 'एकात्मधाम' यानी एकात्मता की प्रतिमा स्थापित होगी। इसे 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' नाम दिया गया है। यहां प्रशिक्षण एवं सूचना केंद्र, अभय घाट, संन्यास और गुफा मंदिर सहित 35 हजार पेड़ों का वन विहार होगा। अन्नपूर्णा मंदिर, पंचायत मंदिर के साथ ओम स्तंभ, कला, प्रदर्शनी जैसी अद्भुत रचनाओं का विस्तार किया जाएगा।स्टैच्यू ऑफ वननेस' को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और MPSTDC (मध्यप्रदेश स्टेट टूरिस्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के मार्गदर्शन में आकार दिया जा रहा है। एकात्मधाम में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ एक संग्रहालय परिसर भी होगा। यह पारंपरिक मंदिर स्थापत्य शैली के अनुरूप होगा। संग्रहालय में 3D होलोग्राम प्रोजेक्शन गैलरी, कलाकृतियां, स्क्रीन थिएटर और 'अद्वैत नर्मदा विहार' नाम से वर्चुअल नाव की सवारी होगी। इसमें लोग आचार्य शंकर की महान शिक्षाओं का ऑडियो-विजुअल यात्रा के जरिए आनंद ले सकेंगे। अद्वैत वेदांत से संबद्ध आचार्य शंकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट वेदांत के अद्भुत सिद्धांत का विस्तृत अध्ययन, बेहतर तरीके से उन्हें समझना और साझा करने के लिए एक केंद्र के तौर पर काम करेगा।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि 2017 में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान यह विचार आया था। यहीं ओंकारेश्वर में इस विचार ने जन्म लिया, जहां आदि गुरु शंकराचार्य ने 8 वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण की। यहां से ज्ञान प्राप्त कर भारत भ्रमण पर निकले। शंकराचार्य को लेकर दिमाग में आई कल्पना अब साकार रूप ले रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन की रक्षा और सांस्कृतिक रूप से भारत को एक करने वाले कोई महापुरुष हैं, तो वह शंकराचार्य हैं। उनके कारण देश का आज यह स्वरूप है। मन में विचार आया कि दीक्षास्थली पर उनकी प्रतिमा हो, संग्रहालय हो, अद्वैत वेदांत का यह दुनिया का केंद्र बने। अद्वैत वेदांत का मूल सिद्धांत है- एक ही चेतना हम सब में है। वसुधैव कुटुम्बकम् ,प्राणियों में सदभावना हो, सबका कल्याण हो, सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया, मैं नहीं सब या एक, जीव और ब्रह्म एक है।

 

Kolar News 6 May 2023

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