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जंगल में बेखौफ घूम रहा नामीबिया से लाया गया चीता ओबान
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भोपाल। नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाया गया चीता ओबान जंगल में बेखौफ विचरण कर रहा है। ओबान का ऐसे घूमना अच्छे संकेत हैं, पर परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है, इसलिए चीते की सुरक्षा को लेकर वन विभाग की नींद उड़ गई है।

 

 

दरअसल, ओबान चीता बार-बार कूनों से निकल रहवासी इलाकों में पहुंच रहा है। इन दिनों वह शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में चहलकदमी करता नजर आ रहा है। बुधवार सुबह वह खूबत खाटी पर फोरलेन क्रास कर पार्क की सीमा से सटे गांव डोंगर में पहुंचा और यहां उसने जाट फार्म हाउस के अंदर टमाटर की फसल के बीच आराम कर पूरा दिन बिताया।

 

 

टमाटर तोड़ रहे मजदूरों की दिन में जैसे ही उस पर नजर पड़ी तो भगदड़ मच गई। लोकेशन ट्रेस करते हुए वन विभाग का अमला भी पहुंच गया। इससे पहले वह खेत में बर्दखेड़ी निवासी चरवाहे मंगल आदिवासी को दिखाई दिया। उसका कहना था कि चीता काफी करीब से होकर निकला, लेकिन किसी भी बकरी पर हमला नहीं किया। ओबान ने मंगलवार को टुंडा भरका क्षेत्र में दो छोटे जानवरों का शिकार भी किया है।

 

 

चीते की मानीटरिंग कर रहे वन्य जीव विशेषज्ञ अमनदीप राठी ने बताया कि यह ओबान का भटकाव नहीं है। उसका व्यवहार ही इस तरह का है कि वह एक जगह पर स्थिर नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि एक बार उसे ट्रेंक्युलाइज कर कूनो ले जाया गया और वह फिर बाहर आ गया।

 

 

राठी के अनुसार ओबान पूरे क्षेत्र को परखने का प्रयास कर रहा है और इसके साथ ही खुद के लिए संभावनाएं तलाश रहा है कि उसे आसानी से शिकार कहां मिलेगा। किस जगह पर ज्यादा सुरक्षित रहेगा। चीते को उस समय तक ट्रेंक्युलाइज नहीं करेंगे जब तक कि यह नेशनल पार्क क्षेत्र और जंगल में विचरण रहा है। अगर यह गांवों में भी विचरण करता है तो इसको ट्रेंक्युलाइज करने पर विचार करेंगे।

 

 

हालांकि, ओबान की सुरक्षा को लेकर वन अधिकारी चिंतित है। वे मानकर चल रहे हैं कि उसे लंबे समय बाद खुला क्षेत्र मिला है, इसलिए वह घूम रहा है। नामीबिया के विशेषज्ञों का कहना है कि यहां भी उसका व्यवहार ऐसा ही था। बताया गया कि कूनो पार्क लाए जाने से पहले सभी आठ चीतों को नामीबिया में डेढ़ माह क्वारंटाइन बाड़े में रखा गया था। कूनो पार्क में भी वे करीब सवा माह छोटे और एक माह बड़े बाड़े में कैद रहे। किसी वन्यप्राणी को जब पिंजरे या बाड़े से छोड़ा जाता है तो उसका ऐसा ही व्यवहार रहता है। ओबान भी ऐसा ही कर रहा है।

 

 

वन अधिकारियों को असली डर मानव-चीता द्वंद्व का है। दरअसल, वह आबादी के बेहद करीब पहुंच रहा है। अभी तो ओबान ने पशुहानि नहीं की है। ऐसा हुआ, तो द्वंद्व के हालात बनेंगे। ग्रामीण डरकर हमला कर सकते हैं, तब चीते को नुकसान होगा। देश में चीता विशेषज्ञ भी नहीं हैं, इसलिए नामीबिया या अफ्रीकी विशेषज्ञों से ही सलाह लेनी पड़ रही है।

 

 

प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक जेएस चौहान का कहना है कि नामीबिया के विशेषज्ञों ने बताया है कि ओबान वहां भी जंगल से बाहर खुले क्षेत्रों में ही घूमता था। वहां आसपास बस्तियां नहीं हैं और लोग चीतों के व्यवहार को जानते हैं इसलिए यह सामान्य होता है। भारत और श्योपुर के लिए चीता नया प्राणी है इसलिए लोग घबरा जाते हैं।

 

Kolar News 20 April 2023

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