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भोपाल के सेकंड स्टॉप पर बनकर तैयार हुए महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के नवनिर्मित भवन का सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लोकार्पण किया। सीएम ने इस कार्यक्रम में देरी से पहुंचने की पूरी वजह बताई। इसके साथ ही सीएम ने रूस-यूक्रेन का युद्ध रोक पाने में संयुक्त राष्ट्र संघ (UN)को असफल बताया। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर, संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी, स्कूल शिक्षा विभाग की पीएस रश्मि अरुण शमी सहित संस्कृत संस्थान के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे।देरी से पहुंचे सीएम शिवराज सिंह ने कहा- मैं क्षमा चाहता हूं देर से आ पाया। मौसम आज बेईमान हो गया। मैं अलीराजपुर, मनावर से इंदौर पहुंचा तो पायलेट बोले- मौसम बहुत खराब है ऐसे में उडना लगभग असंभव लग रहा है। मैंने उन्हें थोड़ा सा पटाया और उनसे कहा कि संस्कृत संस्थान के भवन का लोकार्पण है। दो बार कार्यक्रम टल चुका है। इसलिए कुछ भी दाएं-बाएं करके आज तो निकाल दो। उन्होंने बिठाकर जैसे ही उडाया, और काफी घुमा फिराकर लाए तब भी विमान केवल चल नहीं रहा था। झूले जैसा कभी नीचे, कभी ऊपर जा रहा था। बिजली कड़क रही थी नीचे तेज हवाएं चल रहीं थीं। जैसे - तैसे हम भोपाल एयरपोर्ट पर उतरे, उतरने के बाद इतनी तेज हवा चल रही थी कि रास्ते में पेड़ गिर गए जिसके कारण रास्ता बदलकर स्टेट हैंगर जाना पड़ा। बाद में नगर निगम की टीम ने पेड़ हटाया तब मैं यहां पहुंच पाया। लेकिन देरी तो देरी है। मुझे क्षमा कीजिए।भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। आज मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं जो विवेकानंद जी ने कहा था। कि भारत माता जागकर खड़ी हो रहीं हैं और विश्वगुरु के पथ पर अग्रसर हो रही हैं। आज वो सच साबित होता दिख रहा है। ज्ञान- विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति, जीवन मूल्यों, परंपराओं में आज हम ही नहीं पूरा जमाना कहता है कि भारत की तो बात ही अनूठी है। हमने कई वर्षों पहले कहा था सारे विश्व को हमारे देशों ने संदेश दिया था वह संदेश था आत्मवत् सर्वभूतेषु सबको अपने जैसा मानो। इसलिए सर्वभूत हितेरत:। ये अद्भुत सोच है हमारा। दूसरे विश्व युद्ध के बाद भारतीय राष्ट्रीय राष्ट्र संघ बना लेकिन वह भी यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध नहीं रोक पा रहा। हमारे ऋषियों ने वसुदेव कुटुंबकम का यह भाव बहुत पहले प्रकट कर दिया था। सारी दुनिया एक परिवार है। इतना उदार देश कहां मिलेगा।शिवराज ने कहा- भारत का ज्ञान विज्ञान सब संस्कृत में है संस्कृत विश्व भाषा है बाकी भाषाओं की जननी है यह सबसे वैज्ञानिक भाषा है कई बार यह सिद्ध हो चुका है जो वैज्ञानिक दृष्टि संस्कृत में है वह कहीं नहीं है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि इसे कुछ लोगों ने इसे कर्मकांड की भाषा मान लिया। लेकिन पतंजलि संस्कृत संस्थान ये स्थापित कर दिया कि यह केवल कर्मकांड की भाषा नहीं बल्कि विज्ञान की भाषा है।
Kolar News
7 March 2023
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