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विश्व के लिए उपयोगी सिद्ध होगा धर्म-धम्म सम्मेलनः शिवराज
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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि धर्म और धम्म का पहला सिद्धांत है सभी जीवों के साथ दया और सम्मान का व्यवहार हो, दूसरे सिद्धांत में ज्ञान और बोध पर बल दिया गया है, तीसरे सिद्धांत में आंतरिक शांति और निर्विकार भाव विकसित करने की आवश्यकता निरूपित की गई है। यह विद्वानों की सभा है। सम्मेलन में अलग-अलग विषयों पर गंभीर चिंतन होगा। चिंतन से जो निष्कर्ष निकलेंगे वह विश्व को शाश्वत शांति के पथ पर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध होंगे। गौतम बुद्ध ने युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता को जीवन में आवश्यक माना है। यही वह मार्ग है जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन करायेगा। अत: निश्चित ही धम्म-धर्म सम्मेलन विश्व के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

 

 

मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को भोपाल में 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी मौजूद रहे।

 

 

साँची विश्वविद्यालय की स्थापना प्रदेश के लिए सौभाग्य का विषय

 

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि साँची विश्वविद्यालय की स्थापना प्रदेश के लिए सौभाग्य का विषय है। यहाँ भारतीय ज्ञान और बौद्ध दर्शन के अध्ययन के अवसर सृजित होंगे। पूर्व के मानववाद का मूल चिंतन है कि एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्वान हैं, सारी धरती एक ही परिवार है। हमारे यहाँ जिओ और जीने दो और "धर्म की जय हो-अर्धम का नाश हो-प्राणियों में सद्भाव हो और विश्व का कल्याण हो" का विचार सर्वत्र व्याप्त है। भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों, नदियों, वृक्षों और पहाड़ों को भी पूजा गया है। दशावतार की अवधारणा में यह स्पष्टत: परिलक्षित होता है। भारतीय परंपरा में सारी धरती को एक परिवार माना गया है।

 

 

धर्म-धम्म चिंतन से सद्भाव को बढ़ावा मिलेगाः राज्यपाल

 

कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि हमारे भारतीय दर्शन की मान्यता इस विश्वास में निहित है कि विश्व सबके लिए है। युद्ध की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मानवता के कल्याण के लिए शांति, प्रेम और एक-दूसरे के प्रति विश्वास आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा विश्व शांति और मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखती है और उसे बढ़ावा देती है। नैतिक और व्यवहारिक क्षेत्र में बौद्ध दृष्टिकोण भी मानव जाति की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। समृद्ध समाज, राष्ट्र एवं विश्व निर्माण के लिए भारतीय सांस्कृतिक और सभ्यतागत अंतर्संबंधों की सदियों से चली आ रही चिंतन परम्परा पर बदलते समय और परिप्रेक्ष्य में नई दृष्टि से विचार समय की ज़रूरत है। वैश्विक परिदृश्य में अतिवाद, विस्तारवाद, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मानवता को बचाने के मार्ग भारतीय ज्ञान एवं ऋषियों के चिन्तन में ही मिलेंगे।

 

 

उन्होंने कहा कि धर्म-धम्म चिंतन से प्राचीन सभ्यताओं के बीच विचारों के परस्पर विनिमय से सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि हिंसा और युद्ध से कराहते विश्व के लिए बुद्ध एक समाधान हैं।

 

 

भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि है

 

राम-जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि भारत भूमि, प्रकाश, ज्ञान और सीखने की भूमि है। हम किसी पर आक्रांता नहीं हुए, हमने सभी विचारों और विश्वासों का स्वागत किया है। धम्म और धर्म भविष्य के विश्व की आशा के केन्द्र हैं। यहाँ से निकला प्रकाश मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रारंभ में साँची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने सम्मेलन के उद्देश्य और आगामी कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी।

Kolar News 3 March 2023

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